Bihar Assembly Elections 2025: RLJP Chief Pasupati Kumar Paras exits BJP-led NDA, vows to contest all 243 seats. Explore how this political upheaval impacts BJP-JD(U) Dalit-OBC vote dynamics, and the road ahead for Bihar's high-stakes polls.
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4/16/20251 min read


बिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA को झटका, RLJP प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने तोड़ा गठबंधन, 243 सीटों पर लड़ने की घोषणा
(एक विश्लेषण)
बिहार की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया है! राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने NDA के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि RLJP अब अगले चुनावों में बिहार की सभी 243 सीटों पर अपने दम पर मैदान में उतरेगी। यह फैसला NDA, विपक्ष और राज्य की जनता के लिए क्या मायने रखता है? आइए समझते हैं
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क्यों टूटा RLJP और NDA का रिश्ता?
1. सीट-शेयरिंग को लेकर मतभेद: RLJP का आरोप है कि NDA (भाजपा + JD-U) ने छोटे दलों को उचित महत्व नहीं दिया। पारस ने कहा, "हमें सिर्फ प्रतीकात्मक सीटें देकर टाला जा रहा था।"
2. पार्टी की पहचान का संकट: RLJP को लगता है कि NDA में रहते हुए उनकी राजनीतिक हैसियत कमजोर हुई है।
3. चिराग पासवान फैक्टर: पारस के भतीजे चिराग पासवान की पार्टी LJP (Ram Vilas) NDA का हिस्सा है। इसके चलते RLJP को लगा कि उन्हें दोयम दर्जे का साथी बनाया जा रहा है।
NDA के लिए कितना बड़ा झटका?
दलित-पिछड़ा वोट बैंक खिसकने का डर: RLJP का दलित (खासकर पासवान समाज) और ओबीसी वोटों पर प्रभाव है। यह फैसला NDA के लिए चुनावी गणित बिगाड़ सकता है।
- विपक्ष को फायदा?: महागठबंधन (राजद + कांग्रेस + लेफ्ट) RLJP के इस कदम को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर सकता है।
JD-U पर दबाव: नीतीश कुमार अब भाजपा के साथ सीट शेयरिंग को लेकर और मजबूती से बातचीत करेंगे।
पशुपति पारस की चुनौतियाँ
संसाधनों की कमी: 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए RLJP के पास फंडिंग और कार्यकर्ताओं का नेटवर्क कमजोर है।
चिराग vs पारस: पासवान समाज बंटेगा?: चिराग की LJP (Ram Vilas) और RLJP के बीच सीधी टक्कर होगी, जिससे NDA और विपक्ष दोनों को फायदा मिल सकता है।
अकेले जीतने की रणनीति: बिहार में 2015 और 2020 के चुनावों में छोटे दलों का प्रदर्शन खराब रहा है। RLJP को क्षेत्रीय दिग्गजों से मुकाबला करना होगा।
2025 चुनाव: अब क्या होगा?
NDA की नई रणनीति: भाजपा और JD-U को अब RLJP के बगैर नए सहयोगियों की तलाश करनी होगी। HAM (जीतन राम मांझी) या VIP (मुकेश साहनी) जैसे दलों से गठजोड़ मजबूत किया जा सकता है।
महागठबंधन की चाल: तेजस्वी यादव RLJP से हाथ मिलाने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन पारस का "अकेले लड़ने" का दावा इस राह को मुश्किल बनाता है।
जनता का रुख: क्या बिहार की जनता NDA के टूटने को सत्ता में बदलाव का मौका मानेगी, या फिर "स्थिरता" के नाम पर भाजपा-JD-U को वोट देगी?
निष्कर्ष: बिहार की सियासत गरमाई
पशुपति पारस का NDA से बाहर निकलना साबित करता है कि बिहार की राजनीति में "कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं"। 2025 का चुनाव अब त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला बन सकता है, जहाँ हर दल "जीतने के लिए कुछ भी करेगा"। फिलहाल, NDA के लिए यह चेतावनी है कि गठबंधन की राजनीति में छोटे साथियों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
लेखक: राजनीतिक विश्लेषक
टिप्पणी: यह ब्लॉग पाठकों को घटना की गहराई से जानकारी देने और उसके प्रभाव को समझने में मदद करेगा। RLJP के इस कदम से चुनावी समीकरण कैसे बदलेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा!